😥 Nabi E Paak A.s Kaa Maula Ali A.s Se Izhaar E Gham Karna Apni Ummat Ki Jaanib Se Maula Ali Ke Muqabil Gaddari Par Utar Aane Ka😥
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अहले सुन्नत की मशहूर और मोतबर किताब ‘कंजुल-उम्माल’, ‘मुसनद अबी याला’ और ‘इजालतुल खुफा’ में हदीस है कि मुहम्मद सल्ल० ने मौला अली अलैहिस्सलाम से फरमाया कि-
“मेरे बाद उम्मत तुमसे गद्दारी करेगी, तुम मेरे दीन पर क़ायम रहोगे और मेरी सुन्नत पर शहीद किए जाओगे।
जिसने तुमसे मुहब्बत की उसने मुझसे मुहब्बत की और जिसने तुमसे बुग्ज़ रखा उसने मुझसे बुग्ज़ रखा और आपकी दाढ़ी अनकरीब सर के ज़ख्म से तर होगी।” – कंजुल-उम्माल, हदीस नंबर 32997.
लगभग यही बात इमाम अबी याला (वफात 307 हिजरी) ने अपनी मशहूर किताब मुस्नदे अबू याला में लिखा है कि-
“हजरत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि हम रसूलुल्लाह सल्ल० के साथ मदीने की गलियों में टहल रहे थे और आपने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था फिर अचानक हम सब एक बाग के पास पहुंचे तो मैंने कहा कि या रसूलुल्लाह.! ये कितना अच्छा बाग है। आप सल्ल० ने फरमाया कि आपके लिए जन्नत में इससे भी अच्छा बाग है। इसी तरह हम सात बागों से गुजरें और हर बार यही सवाल किया तो रसूलुल्लाह ने यही जवाब दिया कि आपके लिए जन्नत में इससे भी अच्छा बाग है। फिर रास्ते में मुहम्मद सल्ल० रोने लगें तो मैंने कहा कि या रसूलुल्लाह सल्ल० आप क्युं रो रहे हो.?? तो आप सल्ल० ने फरमाया कि “उस बुग्ज की वजह से रो रहा हूं जो लोगों के सीने में तेरे लिए है..जिसका इज़हार मेरे (विसाल के) बाद करेंगें। फिर मैंने अर्ज किया कि क्या मेरा दीन सलामत रहेगा.?? आपने कहा कि आपका दीन सलामत रहेगा।”
-मुस्नद अबी याला, जिल्द अव्वल, सफा नंबर 361 और 362, हदीस नंबर 561
क्या सचमुच इस उम्मत के उन कलमा पढ़ने वालों ने मौला अली अलैहिस्सलाम के साथ गद्दारी और नाइंसाफी की, जो हयाते मुस्तफा सल्ल० में आपको मौला कहते थे और ये उम्मत अली अलैहिस्सलाम को अपना मौला मानकर मुबारकबाद दिया करते थे….??
इस हदीस को हजरत शाह वली उल्लाह मुहद्दिस देहलवी रह० ने भी ‘इजालतुल-खुफा’ में लिखा है और इस किताब में दूसरी जगह यह भी लिखते हैं कि मुहम्मद सल्ल० ने मौला अली अलैहिस्सलाम को नसीहत कर गये थे कि मेरे बाद सब्र करना.!!
यह बात अहले सुन्नत वल जमाआत के काई मोतबर किताब से साबित है कि मुहम्मद मुस्तफा सल्ल० ने मौला अली अलैहिस्सलाम से भविष्यवाणी कर गये थे कि मेरे बाद यानि मेरे विसाल होने के बाद मेरी ये उम्मत तुमसे (यानि अली अलैहिस्सलाम और इनके खानदान से) गद्दारी करेगी और लोगों के दिलों में तुम्हारे लिए जो बुग्ज आज छिपा हुआ है वो जाहिर होगा।
नबी सल्ल० की मशहूर हदीस है कि अली से कोई बुग्ज नहीं करेगा सिवाय मुनाफिक और कोई मुहब्बत नहीं करेगा सिवाय मोमिन के… यानि अली अलैहिस्सलाम की मोहब्बत ईमान है और अली अलैहिस्सलाम का बुग्ज मुनाफिकत है।